डेंगू वाला मच्छर दिन में ही bite करता है, ये मच्छर साफ पानी में अंडे देते हैं और तेजी से बड़े होते है। जैसे गमला, कूलर और पानी की टंकी के पानी में। अंडे देने के लिए इन्हें 16 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। ये मच्छर बड़े ऊपर फ्लाई कर पाते। रेन से कोल्ड के स्टार्ट तक डेंगू डिजीज अपने पीक पे होती है।
सितंबर के अंत तक डेंगू के मामले बढ़ जाते हैं और अक्टूबर-नवंबर में अपने चरम पर रहते हैं। ऐसा हर साल होता है क्योंकि इन महीनों में दिन का तापमान 20 डिग्री के आसपास होता है। यह डेंगू के मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल है।
इसलिए जमा हुए साफ पानी को समय-समय पर निकालते रहें, बदलते रहें। दिन में भी मच्छरदानी का प्रयोग करें। दिन में सभी मच्छर भगाने के उपाय करें। सबसे ज़्यादा रिस्क न्यू बोर्न बेबीज और क्रोनिक मेडिकल कंडीशन वाले लोग जिनको हार्ट, अस्थमा, मधुमेह टाइप प्रोब्लेम्स को है।
डेंगू के लक्षण मुख्य लक्षण है:
- अधिक बुखार, सिरदर्द, और शरीर में दर्द
- बॉडी पे लाल चकते दिखना
- आँखों में जलन और जोड़ों का तेज दर्द
- बीपी low होकर 50 तक आ जाना
- 104 डिग्री से ऊपर बुखार
- लीवर और चेस्ट में फ्लूइड जमा होना
- खाना डाइजेस्ट होने में दिक्कत
- उल्टी और कम भूख
- कमजोरी और चक्कर आना
- बॉडी में प्लेटलेट्स कम होते जाना
अगर ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण दिखे तो किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टर एंटीजन ब्लड टेस्ट यानि NS-1 नाम का टेस्ट करेंगे। इसके बाद ही इस बात की स्पष्ट जानकारी होती है कि मरीज को डेंगू है या नहीं। लेकिन डेंगू के लक्षण बढ़ने पर यह टेस्ट कारगर नहीं होता। इसलिए एलिसा टेस्ट कराएं। इसका परिणाम शत-प्रतिशत सही है। ये टेस्ट 2 तरह के होते हैं- IGM और IGG।
डेंगू बुखार 3 प्रकार का होता है:
- क्लासिकल डेंगू फीवर: यह एक सामान्य बुखार है। इसमें मौत का कोई खतरा नहीं है। रोगी 5 से 7 दिनों में ठीक हो जाता है।
- डेंगू हॅमरेजिक फीवर: इसे रक्तस्रावी बुखार कहा जाता है। D2 स्ट्रेन ही इसका कारण बनता है।
- डेंगू शॉक सिंड्रोम: यदि शॉक सिंड्रोम के लक्षणों को रक्तस्रावी बुखार के लक्षणों के साथ जोड़ दिया जाए, तो रोगी की स्थिति और खराब हो जाती है। इसमें रोगी का शरीर ठंडा हो जाता है और बुखार तेज हो जाता है। रोगी धीरे-धीरे बेहोश हो जाता है। समय पर इलाज न मिलने पर मरीज की मौत हो जाती है।
एक बार डेंगू होने पर दोबारा होने का खतरा बढ़ जाता है
डेंगू की ऊष्मायन अवधि 3 से 10 दिनों की होती है। यह 5 से 7 दिनों में अपना पूरा असर दिखाना शुरू कर देता है। लक्षण दिखने के 48 घंटे यानी 3 से 7 दिनों में मरीज की हालत गंभीर हो सकती है। और हां, डेंगू वायरस से पीड़ित मरीज को डेंगू का दूसरा स्ट्रेन भी लग सकता है। यह बहुत खतरनाक होता है, इसलिए डेंगू से लड़ने वाले मरीज को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
डेंगू से संक्रमित मरीज के ब्लड प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं। 20 हजार प्लेटलेट्स हैं तो घबराएं नहीं। खूब पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं। इससे कम होने पर डोनर के शरीर से प्लेटलेट्स निकालकर मरीज को दे दिए जाते हैं। डोनर से लिए गए प्लेटलेट्स की लाइफ 3 से 10 दिन की होती है। सामान्य डेंगू में यह स्थिति नहीं होती है। प्लेटलेट्स आरबीसी या लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से बनते हैं, जिसे शरीर अपने आप बनाता है। उन्हें शरीर में किसी भी तरह से या दवाओं के माध्यम से या कुछ भी खाने से नहीं बढ़ाया जा सकता है।