जब संपत्ति की बात आती है, तो लोग समझते हैं कि कोई भी कॉर्पोरेट क्षेत्र से अमीर नहीं है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां एक ऐसा मंदिर है, जिसके सामने कॉरपोरेट जगत पानी भर देता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं भगवान वेंकटेश्वर के Tirupati temple की, इनकी दौलत के आगे विप्रो, नेस्ले, ओएनजीसी जैसी कंपनियां भी पानी भरती हैं।
आईटी सेक्टर की कंपनी विप्रो के बारे में तो आप जानते ही होंगे। इसके संस्थापक अजीम प्रेमजी एक झटके में दसियों हजार रुपए दान करने के कारण चर्चा में आ गए थे। इस कंपनी का मार्केट कैप दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है।
इसी तरह नेस्ले इंडिया और सरकारी महारत्न कंपनी ओएनजीसी, इंडियन ऑयल, एनटीपीसी आदि भी निजी क्षेत्र में जानी जाएंगी। लेकिन तिरुपति का भगवान वेंकटेश्वर मंदिर इन सभी कंपनियों पर भारी पड़ता है।
तिरुमाला में भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर की संपत्ति 2.5 लाख करोड़ रुपये (लगभग 30 अरब डॉलर) से अधिक है। यह सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनी विप्रो के मार्केट कैप से भी ज्यादा है। इतना ही नहीं, इस मंदिर की संपत्ति खाद्य और पेय कंपनी नेस्ले इंडिया और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ओएनजीसी और इंडियन ऑयल के बाजार पूंजीकरण से भी अधिक है।
पहली बार तिरुपति मंदिर की संपत्ति घोषित
1933 में स्थापित तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम, भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित तिरुपति मंदिर के प्रबंधक हैं। इसके बाद मंदिर ने पहली बार अपनी नेटवर्थ घोषित की है। इसकी संपत्ति में बैंकों में जमा 10.25 टन सोना, 2.5 टन सोने के आभूषण, बैंकों में जमा 16,000 करोड़ रुपये और देश भर में स्थित 960 संपत्तियां शामिल हैं। यह सब कुल मिलाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये बनता है।
स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा ट्रेडिंग वैल्यू पर तिरुपति मंदिर की नेटवर्थ कई ‘ब्लूचिप’ भारतीय कंपनियों से ज्यादा है। खाद्य और पेय पदार्थ बनाने वाली स्विस बहुराष्ट्रीय कंपनी नेस्ले की भारतीय इकाई का वर्तमान में बाजार पूंजीकरण 1.96 लाख करोड़ रुपये है। आई सेक्टर की कंपनी विप्रो का मार्केट कैप भी इस समय 2.14 लाख करोड़ रुपए है। ऑटो सेक्टर की कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा का मार्केट कैप 1.60 लाख करोड़ रुपए है। इसी तरह टाटा मोटर का भी मार्केट कैप 1.54 करोड़ रुपए है।
भारत सरकार की कुछ ऐसी कंपनियाँ हैं जो अच्छी खासी कमाई करती हैं। इनमें ओएनजीसी, एनटीपीसी, पावरग्रिड, कोल इंडिया लिमिटेड, इंडियन ऑयल जैसी कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों की कमाई की वजह से सरकार ने इन्हें महारत्न कंपनी का दर्जा दिया है। ये कंपनियां तिरुपति मंदिर की संपत्ति से भी पानी भरती हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मार्केट कैप की बात करें तो मौजूदा समय में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ONGC) का मार्केट कैप सबसे ज्यादा है। यह 1.73 लाख करोड़ रुपए है। जबकि, तिरुपति मंदिर की शुद्ध संपत्ति करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए है। इसी तरह, NTPC का मार्केट कैप 1.72 लाख करोड़ रुपये, Power Grid का मार्केट कैप 1.58 लाख करोड़ रुपये और Coal India Ltd का मार्केट कैप 1.52 लाख करोड़ रुपये है।
मौजूदा समय में अगर भारत की तमाम अमीर कंपनियों की बात करें तो देश में करीब दो दर्जन कंपनियां ही तिरुपति मंदिर से ज्यादा अमीर हैं। इनमें मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, टाटा समूह की टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी बैंक, आईटी कंपनी इंफोसिस, निजी क्षेत्र की बैंकिंग कंपनी आईसीआईसीआई बैंक, बहुराष्ट्रीय कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, SBI,Bharti Airtel और आईटीसी शामिल हैं।
निरंतर बढ़ती ही जा रही है समृद्धि
मंदिर के एक पदाधिकारी का कहना है कि टीटीडी की समृद्धि बढ़ रही है, क्योंकि मंदिर में भक्तों का नकद और सोने के रूप में चढ़ावा लगातार बढ़ रहा है। इसके साथ ही बैंकों में सावधि जमा खाते में जमा पैसे पर भी ब्याज मिल रहा है। पीटीआई की रिपोर्ट है कि देश भर में टीटीडी की संपत्ति का अनुमानित मूल्य 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है। इसमें भक्तों से प्रसाद के रूप में प्राप्त करने के बाद बैंकों में जमा भूमि, भवन, नकदी और सोना शामिल है।